साल 2019। रात के 11:45 पर मुंबई से उड़ान भरने वाली Flight 309 में 178 यात्री और 7 क्रू मेंबर सवार थे। गंतव्य था कोलकाता। मौसम साफ था, मगर कुछ ही देर बाद सब कुछ बदलने वाला था…
पहला अजीब संकेत
उड़ान को अभी 30 मिनट ही हुए थे कि अचानक लाइट्स झपकने लगीं। यात्री समझे शायद टर्बुलेंस है, मगर अचानक ही एक ठंडी हवा का झोंका विमान के भीतर दौड़ गया। एयरहोस्टेस रीमा ने ध्यान दिया कि सीट नंबर 13A खाली थी, पर वहां की बेल्ट खुद-ब-खुद बंध गई थी।
कैप्टन की गवाही
कैप्टन संजय वर्मा ने कंट्रोल से संपर्क किया—”हमारा नेविगेशन गड़बड़ाने लगा है। कंपास उलटा दिशा दिखा रहा है।”
फिर कुछ अजीब हुआ—रेडियो पर एक पुरानी आवाज गूंजी:
“309… वापसी नहीं होगी… मैंने भी यही उड़ान ली थी… 13A को खाली रखना!”
यात्री का डरावना अनुभव
एक बुजुर्ग महिला रोने लगीं—”वो फिर से आ गया… हर बार 13A पर बैठता है… हर 5 साल में एक बार ये उड़ान उसी तरह गायब हो जाती है!”
कोई समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या कह रही हैं, पर उनकी आंखों में सच्चा डर था।
हवा में भटकता जहाज़
कॉकपिट में कैप्टन और को-पायलट के सामने रडार पर एक और जहाज़ दिखने लगा… बिलकुल उन्हीं के जैसा…
वही फ्लाइट नंबर: 309!
लेकिन 1972 का था। वो फ्लाइट कभी गंतव्य पर नहीं पहुँची थी। गायब हो गई थी।
समय में दरार
घड़ी में समय उलटा चलने लगा। बाहर रात नहीं, बल्कि धुंध और घना अंधकार फैल चुका था।
विमान में बैठे यात्रियों को महसूस हुआ कि वे अब “वर्तमान में नहीं हैं”।
13A की सीट से आवाज आई – “मैं लौट आया हूँ।”
रीमा ने पीछे मुड़कर देखा — सीट खाली थी… मगर उस पर एक गीली, सड़ी हुई वर्दी पहने पायलट बैठा था।
अंतहीन उड़ान
कंट्रोल टावर से संपर्क टूट गया। फ्लाइट 309 का सिग्नल गायब हो गया।
आज भी, कई पायलट रात में उड़ते समय एक पुराना प्लेन रडार पर देखते हैं — FLIGHT 309
और रेडियो पर सुनाई देता है –
“सीट 13A को खाली रखना… वो अब भी उड़ रहा है।”
अगर आप कभी फ्लाइट 309 में चढ़ें, तो सीट 13A से दूर रहना।
क्योंकि जो वहां बैठता है…
वो कभी वापस नहीं लौटता।