Horror Story

ट्रेन की आवाज़ — लक्ष्मी जायसवाल

हर रात 12:30 बजे, उस सुनसान स्टेशन पर एक पुरानी ट्रेन की सीटी सुनाई देती थी। पर हैरानी की बात ये थी — उस समय कोई ट्रेन शेड्यूल में नहीं थी… और न ही कभी वो ट्रेन दिखाई देती।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से गाँव खैरापुर का रेलवे स्टेशन अब लगभग बंद हो चुका था। पुराने ज़माने में वहाँ से हर घंटे ट्रेनें गुज़रती थीं, पर अब हफ़्ते में बस एक-दो ट्रेनें ही रुकती थीं।

स्टेशन मास्टर गोपाल सिंह ने रिटायरमेंट के बाद अपना घर स्टेशन के पास ही बना लिया था। उम्र हो गई थी, पर आदतें पुरानी थीं — हर रात वो स्टेशन की ओर टहलने निकल जाते।

पर पिछले कुछ हफ़्तों से, उन्हें कुछ अजीब महसूस होने लगा था। ठीक 12:30 बजे रात, स्टेशन पर एक ट्रेन की सीटी सुनाई देती थी। पटरियाँ हिलती थीं, हवा काँपती थी… लेकिन ट्रेन कभी नहीं दिखती थी।

एक रात गोपाल सिंह ने ठान लिया — “आज देखूंगा कि ये आवाज़ कहाँ से आती है।”

वो रात भर जागते रहे। जैसे ही घड़ी ने 12:30 बजाया, ज़मीन थोड़ी काँपने लगी। उन्होंने दूर पटरियों की ओर देखा — घना कोहरा था, लेकिन उसकी ओट में कुछ चमकती रोशनी दिखाई दी।

धीरे-धीरे एक काली, पुरानी भाप इंजन वाली ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी।

गोपाल जी की साँसें थम गईं। ये ट्रेन तो सालों पहले बंद हो चुकी थी — “राजरानी एक्सप्रेस”।

ट्रेन से उतरने वाले यात्री… बिल्कुल शांत, बिना कोई आवाज़ किए चल रहे थे। उनके चेहरे पीले और आँखें गहरी काली थीं।

तभी एक औरत, लाल साड़ी में, सीधा गोपाल जी की ओर मुड़ी और बोली,
“आप देर से आए हैं, मास्टर साहब… हम सब इंतज़ार कर रहे थे…”सुबह गाँव वालों ने गोपाल सिंह को स्टेशन के पास बेहोश पाया। उन्होंने होश में आने के बाद सबको कहानी सुनाई — लेकिन किसी ने यकीन नहीं किया।

तभी एक बुज़ुर्ग महिला बोली,
“ये वही ट्रेन है जो 40 साल पहले पटरी से उतर कर नाले में गिर गई थी। सैकड़ों लोग मारे गए थे। ट्रेन नंबर था – 9142। ‘राजरानी एक्सप्रेस’।”

गाँव वाले चौंक गए। कोई इस ट्रेन का नाम भी नहीं लेता था। कहते थे, जो भी रात को उस ट्रेन को देखता है, उसकी आत्मा स्टेशन पर रह जाती है।


उसके बाद कई लोगों ने उस ट्रेन की आवाज़ सुनी। कुछ ने ट्रेन को देखा, कुछ ने नहीं। लेकिन एक दिन नीलम, जो कि एक कॉलेज की छात्रा थी, ट्रेन की कहानी सुन कर खुद देखने पहुँच गई।

वो अकेली थी। रात के ठीक 12:30 पर ट्रेन आई। उसने कैमरा निकाला, तस्वीर खींचनी चाही… लेकिन कैमरा जाम हो गया। तभी एक सफेद बालों वाला टिकट कलेक्टर आया और बोला:

“बिना टिकट नहीं बैठ सकते, मैडम।”

नीलम ने डरते हुए पूछा, “कहाँ ले जाएगी ये ट्रेन?”

उसने कहा, “जहाँ समय ठहर जाता है…”

नीलम चिल्लाई, लेकिन उसकी आवाज़ दब गई सीटी की तेज़ आवाज़ में… और वो ट्रेन के साथ कहीं चली गई।

सुबह पुलिस को सिर्फ उसका टूटा कैमरा और एक पुराना टिकट मिला — जिस पर लिखा था:
“एक तरफ़ा यात्रा — आत्मा नगर”।

अब गाँव वालों ने फैसला किया — स्टेशन को गिरा दिया जाए। ट्रेनों का संचालन बंद हो चुका था, और अब वो स्टेशन एक डरावना स्थान बन चुका था।

पर जैसे ही तोड़ने की कोशिश की गई, मजदूरों में से एक ने कहा,
“साहब, पटरी से एक ट्रेन आ रही है!”

सब लोग दूर भागे, पर जैसे ही वो ट्रेन आई, ज़ोर की चीख़ों के साथ हवा में विलीन हो गई।

उसके बाद से स्टेशन का नाम गाँव के नक्शे से हटा दिया गया।

अब उस स्टेशन की जगह एक बंजर ज़मीन है। पर आज भी, जो लोग पास से गुज़रते हैं, वो कहते हैं कि रात के 12:30 बजे ट्रेन की सीटी सुनाई देती है।

और कहते हैं —
“अगर कोई आत्मा अधूरी यात्रा पर हो, तो ‘राजरानी एक्सप्रेस’ आकर उसे ले जाती है…”

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