गाँव सोंधीपुर की सीमा पर एक पुराना, टूटा-फूटा हवेलीनुमा घर था, जिसे सब “झाड़ियों वाला बंगला” कहते थे। कहते हैं, वहाँ बरसों पहले एक लड़की रहती थी—नाम था चम्पा। उसके घुँघराले बाल दूर से ही चमकते थे और उसकी हँसी इतनी मीठी थी कि पक्षी भी रुककर सुनते। लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया।
चम्पा से गाँव का एक ज़मींदार मोहित हो गया। जब उसने चम्पा को पाने की कोशिश की और नाकाम रहा, तो उसने उसे काले जादू से मार डाला। मरने से पहले चम्पा ने कसम खाई—”जिसने मुझे बिना मेरी इच्छा के छूने की कोशिश की, उसका अंत मेरे हाथों होगा।”
उस दिन के बाद से, हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं। रात को घुँघराले बालों वाली परछाई दिखाई देती, जो हवेली की टूटी खिड़की से झाँकती। कभी रोती, कभी हँसती। कई लोगों ने दावा किया कि उन्होंने बालों से लिपटी हुई कोई आत्मा देखी है, जो हवा में उड़ती है।
एक दिन गाँव के तीन लड़के—राजू, बबलू और निखिल—चुनौती में उस हवेली में घुस गए। उनके हाथ में मोबाइल कैमरा था, और वे चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे, “घुँघराले बालों वाली चुड़ैल, अगर हिम्मत है तो सामने आ!”
जैसे ही घड़ी ने रात के बारह बजाए, अचानक दरवाज़ा खुद-ब-खुद बंद हो गया। कमरे में ठंडी हवा भर गई। खिड़की के पास बालों की छाया लहराई और एक लड़की की हल्की सी हँसी सुनाई दी।
“तुमने बुलाया था न?” एक कंटीली, पर मीठी आवाज़ गूँजी।
राजू डर के मारे कांपने लगा। तभी बबलू की गर्दन के पास किसी ने बालों से कसकर लपेटा, जैसे कोई उसे खींच रहा हो। निखिल मोबाइल कैमरा उठाकर भागा, लेकिन कैमरे में सिर्फ़ लंबे घुँघराले बाल और चम्पा की सफेद आँखें दिखाई दीं।
अगली सुबह, हवेली का दरवाज़ा खुला मिला। राजू बेहोश पड़ा था, बबलू गायब था और निखिल की आँखें सफेद हो चुकी थीं। वो सिर्फ एक ही बात दोहरा रहा था—”उसके बालों में साँसे हैं… मत बुलाओ उसे… मत बुलाओ…”
गाँव वालों ने तब से उस हवेली को पूरी तरह छोड़ दिया। लेकिन अब भी जब हवा तेज़ चलती है, तो कोई घुँघराले बाल हवाओं में उड़ते दिख जाते हैं… और किसी की हँसी, किसी की सिसकी सुनाई देती है।