—✒️ mahamatsya
उत्तराखंड के एक दूर-दराज गाँव में एक पुरानी, उजड़ी हुई हवेली थी, काली हवेली। कहते हैं वहाँ रात में चीखें गूंजती हैं, और जो एक बार अंदर गया, कभी लौटकर नहीं आया।
राहुल, एक युवा पत्रकार, इन अफवाहों की सच्चाई जानना चाहता था। उसे यकीन था कि सब अंधविश्वास है। एक दिन, उसे एक अनाम पत्र मिला “अगर सच्चाई जाननी है, तो अमावस की रात हवेली आओ। अकेले।”
राहुल कैमरा और टॉर्च लेकर हवेली पहुंचा। हवेली के बाहर की हवा भी ठंडी और बोझिल थी, जैसे वहाँ खुद समय रुक गया हो।
भीतर घुसते ही दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। कमरे में अजीब सी सड़ांध थी जैसे सड़े हुए मांस की। दीवारों पर लाल रंग से कुछ लिखा थाः
“तू वापस नहीं जाएगा…”
राहुल ने कैमरा ऑन किया, पर स्क्रीन पर एक धुंधली आकृति दिखी, एक औरत, उल्टे पैर चलती हुई, उसकी तरफ आ रही थी।