scarypumpkinbylaxm
Horror

सीढ़ियों की परछाईं


“कुछ परछाइयाँ पीछा नहीं छोड़तीं… भले ही वो आपकी न हों।”


गांव के एक कोने में एक पुरानी हवेली खड़ी थी — वीरान, टूटी हुई और उसके चारों ओर झाड़ियों की एक मोटी परत। दिन में वो बस एक खंडहर लगती, लेकिन रात होते ही लोग उसके पास से गुजरने से भी डरते। कहते हैं, वहाँ हर रात सीढ़ियों से किसी के चलने की आवाज़ आती है, जैसे कोई अदृश्य आत्मा ऊपर से नीचे उतर रही हो — बेहद धीमे, लेकिन भारी कदमों के साथ।

रिया की जिज्ञासा


रिया, एक नवोदित फोटोग्राफर थी। उसे वीरानों और डरावने स्थानों की तस्वीरें लेना पसंद था। उसने गांव के लोगों से हवेली की कहानियाँ सुनी थीं और उसने तय कर लिया कि वह वहाँ जाकर तस्वीरें लेगी।
जब वह दोपहर में हवेली पहुँची, सूरज की किरणें सीधी छत से झांक रही थीं। घर के अंदर सीलन, सड़न और सन्नाटा था। पर रिया ने डर को नज़रअंदाज़ किया और कैमरा उठाकर काम शुरू कर दिया।


पहली झलक


सीढ़ियों की तस्वीर लेते हुए अचानक कैमरे की लेंस में एक धुंधली परछाईं दिखी — एक औरत की आकृति, जैसे कोई सफेद साड़ी में खड़ी हो। पर जब रिया ने कैमरा नीचे किया, वहाँ कोई नहीं था। उसने झुंझलाकर दोबारा फोटो खींची, फिर अचानक एक ठंडी हवा का झोंका कमरे में आया, और किसी की धीमी सी आवाज़ कानों में पड़ी — “तू आ गई?”
रिया ठिठक गई। उसने पलटकर देखा, कोई नहीं था। पर अब कैमरे में वह परछाईं और भी साफ़ दिख रही थी।


आख़िरी तस्वीर


रिया ने डरते हुए एक और फोटो ली और कैमरे में झाँककर देखा। अब वो परछाईं सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी — धीरे-धीरे उसकी ओर आती हुई। तभी कुछ गिरने की आवाज़ आई, फिर कैमरा नीचे गिर गया।
अगले दिन गांव वालों ने हवेली के बाहर रिया का कैमरा और स्कार्फ पड़ा देखा, पर रिया कहीं नहीं थी।
कहते हैं, अब हवेली की सीढ़ियों पर दो परछाइयाँ चलती हैं — एक पुरानी और एक नई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *