Horror Story

कफन वाला

—लक्ष्मी जायसवाल

गाँव का वो टूटा-फूटा घर अब बस एक डरावनी याद बन चुका था। दीवारों की मिट्टी झड़ चुकी थी, खिड़कियाँ उखड़ी हुई थीं, और रात को वहाँ से अजीब-सी सिसकियाँ सुनाई देती थीं। बूढ़े लोग बताते थे कि वहाँ हर साल अमावस की रात, एक सफेद कफ़न में लिपटा आदमी घूमता है। कोई नहीं जानता वो कौन है, न वो किसी से कुछ कहता है—बस घूमता है… दरवाज़ों के पास, खिड़कियों के पीछे… छायाओं की तरह। गाँव के छोटे-छोटे बच्चे “कफ़न वाला” कहकर उसे डर की कहानियों में बदल चुके थे, लेकिन बुज़ुर्गों के चेहरे पर उसका नाम लेते ही सन्नाटा छा जाता था।एक बार, गाँव में एक नौजवान पत्रकार आया—नाम था अजय। उसने सुना था इस रहस्य की चर्चा और उसे यकीन नहीं था कि आत्माएँ वाकई होती हैं। उसने तय किया कि वो उस घर में एक रात बिताएगा।

अजय कैमरा लेकर उस रात सीधे वीरान घर पहुंचा। गाँव वालों ने बहुत मना किया, लेकिन वह हँसता रहा—”डर भी कोई चीज़ है?” वह घर के अंदर गया। दीवारों पर मकड़ियाँ थीं, और एक अजीब सी बदबू। उसने कैमरा चालू किया, और सामने खिड़की के पास अपनी टॉर्च रख दी। रात के 12 बजे… सब कुछ शांत था। फिर अचानक… एक दरवाज़ा अपने आप बंद हुआ। अजय चौंका। उसने कैमरा घुमाया… लेकिन कुछ नहीं दिखा। फिर एक धीमी सी सरसराहट, मानो कोई फर्श पर घसीट रहा हो।और तभी… वो दिखाई दिया।सफेद कफ़न में लिपटा एक आदमी… बिना आवाज़ किए… हवा में तैरता हुआ-सा। उसका चेहरा नहीं दिख रहा था, लेकिन उसकी आँखें… बस… काली… खाली… डरावनी। अजय की साँसें थम गईं। उसने कैमरा गिरा दिया और दरवाज़े की ओर भागा, लेकिन दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया था।वो आदमी धीरे-धीरे उसके पास आ रहा था।

अजय ने काँपते हुए पूछा, “तुम कौन हो?”पहली बार वो आदमी रुका… और बहुत ही धीमी आवाज़ में बोला, “मेरा नाम… रघु था। मैंने इस घर में आत्महत्या की थी… लेकिन मेरा कफ़न कभी जला नहीं… मेरी चिता अधूरी रही। “”क्यों?” अजय ने डरते-डरते पूछा। “क्योंकि… मेरे घरवालों ने मुझे कभी मरा ही नहीं माना… न रीतियाँ पूरी कीं, न विदाई दी… अब मैं इसी अधूरे कफ़न में, हर अमावस को… अपनी मुक्ति खोजता हूँ। “अजय की आँखों से आँसू बह निकले। उसने कहा, “मैं तुम्हारी चिता पूरी करवाऊँगा… तुम्हें मुक्ति दिलाऊँगा।” सुबह गाँव वाले जब वहाँ पहुँचे, तो अजय बेहोश मिला, पर ज़िंदा। और उसके कैमरे में जो रिकॉर्डिंग थी… वो सब देख सकते थे… एक कफ़न में लिपटे आत्मा की याचना। उसके बाद, गाँव ने एक विधि करवाकर उस आत्मा की मुक्ति का प्रयत्न किया। तब से उस घर में सन्नाटा तो है… पर अब वो कफ़न वाला कभी नहीं दिखा।

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