
“मैं सिर्फ कहानियाँ नहीं लिखती, मैं उन डरों को जीवन देती हूँ, जिन्हें लोग सिर्फ सपनों में महसूस करते हैं।” – लक्ष्मी
लक्ष्मी जायसवाल एक स्वतंत्र लेखिका, कवयित्री और संवेदनशील रचनाकार हैं, जो भारतीय समाज, परंपरा और मनोविज्ञान के गहरे अनुभवों को डरावनी कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। उनके लिए हॉरर सिर्फ एक शैली नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है — जहाँ शब्दों से सिहरन पैदा होती है, और सन्नाटे में कहानियाँ गूंजती हैं।
लक्ष्मी की माता का नाम सुनीता जायसवाल है और पिता का नाम राजकुमार जायसवाल है। उनका जन्म ४ अप्रैल २००० में हुआ और उनका जन्म स्थान मुंबई है। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक (B.A.) किया है तथा एस.एन.डी.टी यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (M.A.) की उपाधि प्राप्त की है।
लेखन की प्रेरणा:
लक्ष्मी का बचपन रहस्यमयी लोककथाओं, नानी की डरावनी कहानियों और ग्रामीण मिथकों से भरा था। समय के साथ ये कहानियाँ उनके भीतर बसती चली गईं, और उन्होंने इन डरों को केवल सुनने या पढ़ने तक सीमित न रखते हुए, उन्हें खुद के अनुभव और कल्पना से जोड़कर एक नई दिशा दी।
उन्होंने महसूस किया कि डर हर व्यक्ति के भीतर एक अलग रूप में मौजूद होता है — और उसी डर को साहित्यिक भाषा देना ही उनका उद्देश्य बना।
विशेषताएँ जो उन्हें अलग बनाती हैं:
मानसिक और भावनात्मक डर की उत्कृष्ट समझ
हॉरर और सामाजिक यथार्थ का अनोखा संयोजन
चित्रात्मक लेखन शैली जो पाठकों को घटनास्थल पर पहुँचा देती है
हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में सशक्त अभिव्यक्ति
उनकी दृष्टि:
लक्ष्मी चाहती हैं कि ScarypumpkinbyLaxmi एक ऐसा मंच बने जहाँ डर को केवल एक अनुभव नहीं, एक अभिव्यक्ति माना जाए — जहाँ हर पाठक, हर लेखक अपने भीतर के छुपे डर को कहानी का रूप दे सके।
अन्य रचनात्मक पहल:
कविता लेखन
सामाजिक विषयों पर शोध आधारित लेख
ट्रांसजेंडर और महिला अधिकारों पर सक्रिय लेखन
बच्चों और महिलाओं के लिए कल्पनात्मक साहित्य
प्रकाशित पुस्तकें