यह बारिश नहीं मेरी जान है,
जिस पे लाखों लोग कुर्बान है,
बूंदे जब गिरती है धरती पर
यू लगता हैं जैसे मोरनी मोर के संग
यह बारिश नहीं मेरी जान है,
जिस पे लाखों लोग कुर्बान है।
बरसती है बारिश साल में चार माह,
परंतु ये बारिश मुझे लगती है हर माह,
भोली सी सूरत नटखट सी लड़की प्यारी,
दौड़ती सड़क पर लगती मछली की रानी।
जी हां,
यह बारिश नहीं मेरी जान है,
जिस पे लाखों लोग कुर्बान है।
आंधी, तूफान, से लड़ती हुई
तेज बारिश में भीगती हुई सी
दिखाई देती मुझे सफेद साड़ी में नारी
नारी एक आत्मा है जिसका नाम नैन्सी है
जो कहती है ,
यह बारिश नहीं मेरी जान है,
जिस पे लाखों लोग कुर्बान है।