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नीरा: खेत की रक्षक आत्मा

—जी.पी डोरिया

—डॉ. लक्ष्मी जायसवाल

तेरे मेरे होठों पे
मीठे मीठे गीत मितवा
आगे आगे चले हम
पीछे पीछे प्रीत मितवा…

चांदनी रात तले, मध्य रात्रि के पहर को…. एक युवा लड़की अकेली, सर पर पगड़ी सी चुनरी लपेटे हुए, खेत में ट्रैक्टर चला रही थी । तेज़ तरार ट्रैक्टर चलाते हुए…. अपनी ही मस्ती में गाने का मजा लेते हुए… साथ में ही गाना गुनगुनाती हुई उस चांदनी रात का मजा लूट रही थी ।

अंधेरी चांदनी रात । मध्य रात्रि का पहर । आसपास सब खेत ही खेत । दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था । लेकिन… हवा के लहराव को चलते गाने की आवाज दूर दूर तक जा रही थी ।

पास में ही, दूसरे खेत में पानी के सही बहाव के लिए मिट्टी डालता हुआ कक्ष धुंधला धुंधला सा गाने की आवाज सुन रहा था । सोच रहा था, पास ही के खेत में ट्रैक्टर चल रहा है और गाना भी काफी मधुर सुनाई दे रहा है । ला, जरा उस और जा के कोई दिखे तो, एक बीडी फूंक आता हु ।

कक्ष हाथ मुंह धोते हुए, आवाज की दिशा में उस खेत की और चल निकलता है । खेत में आ के देखता है तो… एक बड़ी ही खूबसूरत सी लड़की, पैरों में काले जूते पहने हुए, सर पर पगड़ी सी चुनरी लपेटे हुए, जोरो शोरो से गाने के साथ ही गाती हुई ट्रैक्टर चला रही थी । फुल मोज में एंजॉय कर रही थी। तभी, किसी के आने की आहट सुनाई दी । कक्ष करीब पहुंच ही गया था कि तभी उसने देखा…

लड़की ने अचानक से ट्रैक्टर को हवा में उड़ाया। अचानक से ट्रैक्टर हवा में उड़ाने लगा।  काफी ऊपर तक गया ट्रैक्टर और देखते ही देखते ऊपर जा के एक आग में तब्दील हो गया । और गायब हो गया। 

घटना काफी डरावनी थी । आदर्श तो उस ट्रैक्टर को देखते ही रहा, हवा में ट्रैक्टर के संग उड़ गई उस लड़की को देखता रहा । कुछ ही मिनिटों में तो पूरा खेत एकदम से शांत हो गया । एक नीरव शांति प्रसर गई। और पास ही के खेत में से दौड़ती बाहर आती हुई एक नील गाय शरारटी के कक्ष के पास से गुजर गई । इतनी तेज गति के साथ निल गाय को पसार होते देख, आदर्श की तो सास ही अटक गई । और वही पे, उस गाय से टकराता हुआ, बौखलाता हुआ… आसमान की और देखता हुआ वही पर गिर गया कक्ष।

की तभी आसमान में से, खड़खड़ाट हंसने की आवाज सुनाई थी । ए वो ही लड़की की आवाज थी, जो कुछ मिनिट पहले गाने के साथ गाये जा रही थी।  उसकी प्यारी सी, मीठी सी हसी की आवाज के साथ पूरा खेत गूंज उठा।  कक्ष ने आसमान में देखा, तो सितारों के अलावा कुछ नजर नहीं आया। 

थोड़ा सा डर गया था कक्ष, ए सब घटना को देखते हुए । वो, तुरंत ही वापिस अपने खेत पर आ गया । और वहां रखी अपनी बाइक ले के घर पर आ गया घबराया हुआ । घर आ के सारी बात पापा को बताई । की, अजीब हादसा हुआ आज मेरे साथ खेत में । मैने ट्रैक्टर चलाते हुए एक लड़की को देखा।  और फिर वो ट्रैक्टर को उड़ा ले जाते हुए हवा में उड़ गई । और एक आग सी लपट के साथ कही गुम हो गई । इतना ही नहीं, नील गाय को लेकर मैं गिर गया तो, वो अदृश्यमान शक्ति मुझ पर हस रही थी ।

पापा जी, पूरी बात सुनने के बाद ।
तूने तो आज देखा होगा । मैं तो आए दिन देखते ही रहता हु उसे । वो, वीरजी काका की लड़की नीरा है।  वो खेत झगड़ा कर के साहूकार के हड़प लिया था, रॉफ जमा के । और उस लड़ाई में नीरा वही पर मारी गई थी बरसों पहले । तब तू छोटा सा था । नीरा की मृत्यु को लेकर सदमे में चले गए वीरजी काका का भी फिर देहांत हो गया।  तो, आज भी नीरा उसी खेत में दिखाई देती है । वो खेत कोई नहीं रख पाता खेती के लिए। ऐसे ही बैरन पड़ा रहता है ।साहूकार ने जमीन तो हड़प ली, लेकिन नीरा अभी भी वही पर डेरा जमाए हुए है । वैसे अच्छी लड़की है वो । सब खेत की, और खेत में जाते लोगों की रखवाली करती है वो ।

एक दिन जंगली सुवर खेत में घुस आए थे तो, मै रात को उन्हें भगाने के लिए खेत गया था।  तभी एक साथ कई जंगली सुवर ने मुझे घेर लिया था।  गिरा दिया था मुझे । तभी अचानक से कही से ट्रैक्टर ले के आयि नीरा, और सूवर के पूछे ट्रैक्टर भगा दिया।  सारे के सारे सुवर खेत में भाग गए । और देखते ही देखते वो ट्रैक्टर ले के चली गई । वैसे किसी को तंग नहीं करती वो । ज्यादा मत सोच उसके बारे में, जा… जा के सो जा अभी ।

कक्ष बिस्तर में पड़ा पड़ा उसी लड़की के बारे में सोच रहा था । की, मुझे कैसे भी कर के दुबारा मिलना ही है उससे । क्या करूं ऐसा…? क्या ऐसा तुक्का लगाया जाए जिससे कि वो लड़की, दुबारा दिख जाए । एक गहरी सोच के बाद कक्ष ने सोच लिया । भले ही जान की बाजी लगानी पड़े । मुझे उससे मिलना ही है ।

दूसरी रात कक्ष खाना खा के खेत पर चला गया । और जानबूझकर उसने लापरवाही दिखाते हुए कुएं में कूद पड़ा । और पानी में फड़फड़ाता हुआ आवाज मारने लगा ।
बचाओ… बचाओ… मुझे यहां से बाहर निकाले… कोई है क्या….?

की, तभी उसको ट्रैक्टर की आवाज सुनाई दी । पासवाले खेत से ट्रैक्टर इस और ही आ रहा था । कुएं के नजदीक आ के ट्रैक्टर खड़ा रहा।  नीरा ट्रैक्टर में से नीचे उतरी । एक बड़ी सी रस्सी ले कर उसने एक पैड के साथ बांध ली । और कुएं के पास जा के रस्सी अंदर डाल दी । और बोली…. इसे पकड़ लो… और इसके सहारे बाहर आ जाओ ।

बस, कक्ष को ये ही तो चाहिए था ।
कक्ष ने रस्सी मजबूती से पकड़ ली । और कुएं से बाहर आ गया । बाहर आ के देखता है तो, ना ही कोई ट्रैक्टर था वहां पर, की ना ही कोई लड़की थी।  कक्ष इधर उधर आसमान में देख रहा था कि, तभी ऊपर से एक आवाज सुनाई दी । ” बाहर आ गए हो अभी तो, वो रस्सी पास वाले खेत में रख आना।  और अगली बार ऐसी बेहूदा हरकत की तो, मै नि आने वाली बचाने ।

कक्ष आसमान में टाके हुए इधर उधर देख रहा था कि, कही पर भी कोई दिखाई नहीं दिया । जब उसने उस खेत की और देखा तो, खेत के उस छेड़े पर कोई लड़की ट्रैक्टर के साथ दिखाई दी । लड़की को देख कर ही, कक्ष रस्सी वापिस लौटाने के बहाने उस खेत की और चला गया । जैसे ही वो खेत में घुसा की, खेत के उस सिरहाने पर रही लड़की… जोर जोर से आवाज लगा रही थी कि, ” वही पर रख दो उस रस्सी को । मैं आ के ले जाऊंगी।

कक्ष ने दूर से देखा उस ट्रैक्टर को तो, ट्रैक्टर हवा में उड़ रहा था । और सीट पर बैठी हुई नीरा ट्रैक्टर चला रही थी।  कक्ष मन ही मन बबड़ रहा था कि, ईशान तो इंसान… भूत प्रेत भी दूर भागते है मुझसे तो । क्या सच में, मै इतना बुरा हु ..? भले ही प्रेत रही, है तो लड़की ही ना… इतरायेगी तो सही ही है । लड़कियों का ए भाव खाना कभी जायेगा नहीं ।

एक रात कक्ष खेत में काम कर रहा था कि, तभी उसे पास  वाले उसी खेत में से किसी मंत्रोच्चार की आवाज सुनाई दी । साथ में ही उसी लड़की की क्रूर आक्रंद वाली रोने की आवाज सुनाई दी । आज पता नहीं क्यों, लेकिन कक्ष को दिल में एक डर की आहट सी महसूस हो रही थी । जैसा कुछ अघटीत घटना हो रही हो । आज पहली दफा अकेले खेत के बीच उसे कुछ डर का एहसास हुआ । उस रोने की क्रूरता भरी आवाज को लेकर । कक्ष ने सब काम वही पर छोड़ दिया, और खेत के किनारे पर आ गया देखने के लिए । की, चल क्या रहा है ।

खेत के किनारे पर आ के देखा कक्ष ने तो, पास वाले खेतर में काले कपड़े पहने हुए, लंबी जटा के साथ एक खूंखार आदमी खड़ा था।  और कुछ तंत्र मंत्र विद्या कर रहा था, यज्ञकुंड बनाते हुए।  उसके पास अजीबो गरीब चीजें दिख रही थी । अपनी झोली के पास ही, डोरी से बंधा हुआ एक कौआ लगातार कौ… कौ… कौ… कर के चिल्लाया जा रहा था।  और वो खूंखार आदमी, अकेले खेतों के बीच बैठे हुए कुछ विधि कर रहा था।  कुछ होम हवन कर रहा था।  और इन सब से जलती हुई नीरा फूट फूट के रो रही थी । भयानक सा स्वरूप बनाते हुए, हवा में लहराती हुई, गुस्से से लाल पीली होती हुई… उस खूंखार आदमी के आसपास ही मंडरा रही थी।  जोर शोर से चीखे लगाती हुई, रोती हुई… आवाज लगा रही थी कि,

मैने तेरा क्या बिगाड़ा है ।
क्यों…? आखिरकार क्यों मुझे तू कैद करने आया है ?
किसने भेजा है तुझे ?
मैं तुझे तेरे इस कार्य में हरकीज सफल नहीं होने दूंगी। 
खात्मा कर दूंगी तुम्हारा ए ही पर ।
ए मेरे पुरखो का खेत है । मैं यहां से कही नहीं जाने वाली। 
ना ही किसी को यह कब्जा जमाने दूंगी।
उस साहूकार के तो, पूरे खानदान को मै तहस नहस कर दूंगी । लेकिन, मेरी अच्छाई मुझे ए करने की इजाजत नहीं देती।  इसी लिए आज तक वो जिंदा है। महफूज है ।
फिर मुझे क्यों कैद करने आया है तू। 
बक्श दे मुझे..!!
खूंखार आवाज में अजीबो गरीब घुरकिया लगा रही थी वो । और खुद को बक्श देने के लिए गुहार लगा रही थी ।

लेकिन, वो तांत्रिक सा आदमी तो, बिना उसकी एक सुने…. मंत्रोच्चार करते हुए एक से एक अपनी विधि करे जा रहा था। जैसे जैसे वो अपनी विधि को, क्रियाकर्म को आगे बढ़ाता जा रहा था कि, उस और आसमान में गोल चकरवे के साथ घूम रही नीरा फड़फड़ाती जा रही थी । एक ताकत लगा रही थी, उस तांत्रिक की तांत्रिक शक्तियों का सामना करने की। लेकिन, उस तांत्रिक की ताकत के सामने नीरा लाचार सी हो गई थी । महा सिद्धि तांत्रिक था । अब तक ना जाने कितनी ही पशु, और नर बलि देते हुए उसने ए विशिष्ट तांत्रिक शक्तियों को हासिल किया था ।

तांत्रिक की और देख देख के कौआ जोर जोर से क्रो… क्रो… किए जा रहा था।  की तभी तांत्रिक अपनी झोली में से एक कांच की बोतल निकालता है।  उसका ढक्कन खोल के, एक सर्कल बनाते हुए उसे सर्किल में रख देता है । और अघोर मंत्रोजाप के साथ, एक छरा लिए… उस कौए को दबोच ले के, यज्ञकुंड में उसकी मुंडी को काटकर फेक देता है । साथ ही में उस कौए को भी डाल देता है । खून से लथपथ उसका हाथ, खून टपक टपक के यज्ञकुंड में गिरता रहता है। 

तभी आसमान में ऊपर गोल गोल चक्रवा लगती हुई नीरा, एकदम से खामोश हो जाती है । और एक धुएं में तब्दील होती हुई… उस तांत्रिक के आह्वाहन करने के बाद उस कांच की बोतल में आ के समा जाती है। 

ए सब देखते हुए, धीरे धीरे से चलता हुआ कक्ष, छिपते छिपाते तांत्रिक के करीब पहुंच गया होता है । तांत्रिक के पीछे ही झाड़ियों में छुपे ए सब देख रहा होता है । सारी वारदात देखते हुए कक्ष को इतना तो समझ में आ गया था कि, से कोई बहुत बड़ा खूंखार तांत्रिक है, और इस आत्मा को अपने वश में करने आया है । ना, जाने क्या क्या बुरे काम निकलवाएंगा इस आत्मा से।  कक्ष को कुछ समझ नि आ रहा था कि, क्या किया जाए । क्यों कि, बड़ा ही खतरनाक तांत्रिक था । गर वो उसके सामने आ जाए तो, वो अपनी तंत्र विद्या से कुछ भी कर सकता था। 

कक्ष झाड़ियों में से ही लपाते छुपाते हुए, ढेर सारी हिम्मत इकट्ठी करते हुए… एकदम से दौड़ता हुआ बाहर आता है, और वो तांत्रिक कोई हरकत करे उससे पहले ही, पीछे से… अपने हाथ में रहे बलिचे से उसके सर पर वार कर देता है । तांत्रिक का वही के वही ही धीम ढाल देता है । तांत्रिक कक्ष की और देखता हुआ… कुछ मंत्र बोलता हुआ… तड़पते हुए वहां के वही अपना दम तोड़ देता है । देरी न लगाते हुए कक्ष जल्द ही अपने बलीचे से उस कांच की बोतल को मारता हुआ… उसे तोड़ देता है ।

कांच की बोतल टूटते ही, नीरा उस बोतल में से बाहर आते हुए फिर से आसमान में उड़ती हुई…. खुली हवा तले एक गहरी सास लेती हुई लहराने लगती है।  और देखते ही देखते वो अपने ट्रैक्टर के साथ ही गायब हो जाती है ।

कक्ष पसीने से लथपथ हो गया था ।
क्या हुआ… इस घटना को कब अंजाम दिया । क्यों किया..? कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसे।  वो, तक तक के उस तांत्रिक के शव और उस यज्ञकुंड को देख रहा था कि, तभी जलती हुई उस यज्ञकुंड में से एक कौआ उड़ता हुआ, पैर फड़फड़ाता हुआ बाहर आता है । और उड़ जाता है।  और एक चीख के साथ गुहार लगाता जाता है । ” मूर्ख इंसान , ए तूने अच्छा नहीं किया । इसका बदला तुझे जरूर चुकाना होगा।  ” और हवा में उड़ जाता है ।

कक्ष ए आवाज सुनते ही डर जाता है ।
और अपने खेत पर आ के हाथ पैर धो के घर आ जाता है । घर आ के घड़ी में देखता है तो, सुबह के चार बजने आए थे । सोने के लिए वो जैसे ही बिस्तर पर लेटता है कि, खिड़की से बाहर दिख रहे बिजली के खंभे पर एक कौआ आ के बैठता है । और बड़ी ही भयानक आवाज में क्रो… क्रो.. क्रो… करता रहता है ।

कक्ष को कुछ करना ही था। वो डरते हुए भी एक साहसिक निर्णय ले चुका था — नीरा को बचाना है, चाहे जो हो जाए।

वो झाड़ी के पीछे से धीरे-धीरे निकला, तांत्रिक की पीठ की दिशा से। तांत्रिक अभी भी मंत्रोच्चार कर रहा था, उसकी आंखें बंद थीं और बोतल के चारों ओर एक तांत्रिक चक्र जल रहा था। कक्ष ने जल्दी से एक मोटा लकड़ी का डंडा पास की बाड़ से उठाया और पूरा ज़ोर लगाकर तांत्रिक के सिर पर दे मारा।

धड़ाक!

तांत्रिक लड़खड़ा गया, लेकिन पूरी तरह गिरा नहीं। उसने तेजी से पलटकर कक्ष की ओर देखा। उसकी आंखें अब सामान्य नहीं रहीं—पूरी काली, जलती हुईं, जैसे किसी और ही दुनिया का प्राणी हो।

“मूर्ख! तू कौन होता है मेरे कर्म में बाधा डालने वाला?” तांत्रिक दहाड़ा।

कक्ष पीछे हटा, लेकिन बोतल तक पहुंच चुका था। उसने झपट्टा मारा और नीरा की आत्मा वाली वह बोतल उठा ली। जैसे ही बोतल उसके हाथ में आई, तांत्रिक ने आग का गोला उसकी ओर फेंका। कक्ष झुक गया और वो गोला पीछे की झाड़ियों में जा गिरा।

कक्ष ने बिना समय गंवाए, बोतल को सीने से लगाया और दौड़ पड़ा। तांत्रिक ने कुछ और मंत्र पढ़ने शुरू कर दिए, और तभी काले धुएं से बने तीन छायाकार प्राणी उसके पीछे हो लिए।

भागते हुए कक्ष की सांस फूल रही थी, लेकिन उसके मन में एक ही लक्ष्य था—नीरा को आज़ाद कराना। तभी उसे याद आया, पापा कहते थे कि नीरा की आत्मा खेत से बंधी है, क्योंकि उसे न्याय नहीं मिला।

कक्ष को अब रास्ता सूझ चुका था। वह सीधा गांव के उस पुराने बरगद की ओर दौड़ा जहां वीरजी काका का चबूतरा था—नीरा के पिता की आखिरी निशानी। वहीं पहुंचकर कक्ष ने बोतल को ज़मीन पर रखा और ज़ोर से बोला—

“नीरा! मैं जानता हूं तुम क्या चाहती हो। इस ज़मीन से जुड़े अन्याय को मिटाना होगा। मैं तुम्हारा बदला लूंगा, तुम्हारा खेत लौटवाऊंगा। तुम अब मुक्त हो सकती हो!”

तभी बोतल की कांच दरकने लगी। भीतर से रोशनी सी फूटने लगी, जैसे कोई ऊर्जा छूटने को हो।

तांत्रिक भी पीछे पहुंच चुका था, पर अब देर हो चुकी थी।

बोतल टूटी।

एक उजली सी रोशनी, नीरा का तेजस्वी रूप बन गई—पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली। अब वो आत्मा नहीं, खेतों की रक्षक बन चुकी थी।

नीरा ने हाथ उठाया और तांत्रिक की ओर देखा—

“तू बंधन में मुझे डालना चाहता था? अब तेरा ही बंधन होगा।”

एक झलक में ही नीरा ने आकाश की ओर इशारा किया, बिजली कड़की, और तांत्रिक ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी सारी तांत्रिक शक्तियाँ नीरा की एक पुकार में राख हो गईं।

कक्ष अब निःशब्द खड़ा था। नीरा ने उसकी ओर देखा, मुस्कुराई और कहा—

“तू सच में दिल का सच्चा है। अगर ऐसे ही और लोग होते तो मैं आत्मा नहीं, इंसान बनकर खेत में होती। लेकिन अब मैं मुक्त हूं। और जब तक ऐसे खेतों पर लालच मंडराएगा, मैं लौटती रहूंगी—रक्षक बनकर।”

नीरा की आकृति आसमान में धीरे-धीरे विलीन होने लगी, लेकिन अब वहां डर नहीं था—एक शांति थी।

कुछ वर्षों बाद…

कक्ष ने नीरा की ज़मीन कानूनी लड़ाई के बाद वापिस उसके परिवार के नाम करवाई। उस ज़मीन पर अब एक “नीरा मेमोरियल स्कूल” चलता है, जहां खेतों के बच्चों को पढ़ाया जाता है।

कक्ष जब-जब स्कूल जाता है, तो वहां के एक कोने में लगी नीरा की तस्वीर मुस्कुराते हुए कहती है—

“प्रेम कभी मरता नहीं… वो किसी न किसी रूप में लौट आता है।”

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