✒️—Siddiqui Rukhsana
सुनसान सी गलियों में,
मैं खुद को ढूंढ रही हूं,
क्या खो गई हूँ खुद में ,
सवाल खुद से कर रही हूँ।
के आती हैं नज़र मुझे,
दूर खड़ी लड़की प्यारी,
नाम हैं उसका बानी,
जो थीं अपने राजा की रानी।
हुई थी काली रात में बानी के साथ घटना,
जो अब लेना चाहती है बदला,
लेकर शरीर मेरा प्रवेश करती है आत्मा,
अब करेगी बानी दुश्मनों का खात्मा ।
जब जब बानी मुझ में समाती है ,
अपने साथ हुई अत्याचारों का बदला ,
दरिंदों को फांसी पर लटका कर ,
अपने आत्मा को सुकून दिलाती हैं ।
करना चाहती है बात रानी राजा से,
बताना चाहती हैं मौत का कारण,
लिख कर कलम से शीशों पर ,
मैं आत्मा नहीं तुम्हारी बानी हूँ ।
राजा मैं तुम से दूर नहीं अब,
आसमानों के दरमियान एक,
टिमटिमाता तारा सितारा हूँ,
अगर आए कभी याद मेरी।
हाथ उठा कर नमाज़ो में ,
दुआ करना अल्लाह से ,
के मिले मुझे भी जन्नत ,
सवर जायेगी मेरी भी आखिरत।
जी हां ,
सुनसान सी गलियों में,
मैं खुद को ढूंढ रही हूं,
क्या खो गई हूँ खुद में ,
सवाल खुद से कर रही हूँ।