Horror Story

अधूरी दोस्ती: हॉस्पिटल की आत्मा

__जी. पी डोरिया

__लक्ष्मी जायसवाल

रात के बारा बजने आए थे । हॉस्पिटल की लॉबी लगभग खाली थी। कही कोई नजर नहीं आ रहा था । गार्ड भी चद्दर तान के सो गया था । पूरे हॉस्पिटल में एक दम नीरव शांति थी । अलग अलग कमरे की अलग अलग बत्तियां जल रही थी।  हॉस्पिटल के एक कमरे में पेशेंट के पास बैठा आरव ना जाने किसी गहरी सोच में डूबा हुआ कुछ सोच रहा था।  तभी रात की इस नीरव शांति तले, प्रसरे हुए उस सन्नाटा के बीच उसे किसी गाने की धुन सुनाई देती है ।

बात पुरानी है, एक कहानी है
अब सोचूं तुम्हे याद नहीं है
अब सोचूं नहीं भूले…….
वो सावन के जुले….

रात की नीरव शांति तले ए मधुर धुन गहरी रात में एक सुकून का सुर पूर रही थी।  धुन को सुनते ही आरव को लगा कि, कही किसी कमरे में कोई जग रहा है। फोन लेकर गाना सुन रहा है । ला, जा के उस और बाते बनाता हु । टाइम पास हो जाएगा । ऐसे तो पूरी रात नहीं गुजरेगी । आरव ने दरवाजा खोला तो, बाहर लॉबी पर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। लॉबी पर सीधे जाते हुए, कोने पर ही पड़ते एक बंध कमरे से धुन की आवाज आ रही थी । आदर्श ने उस कमरे की और देखा तो, बाहर ताला लगा हुआ था।  और खिड़की से उसे अंदर किसी के होने की परछाई दिखाई दी । उसने ध्यान से देखा तो, परछाई के चलते ही उसे पायल की छन छन की आवाज सुनाई दी । और देखते ही देखते वो परछाई गायब हो गई । गाने की मधुर धुन भी बंध हो गई । और तभी पवन के एक जोरदार झोंके के साथ वो खिड़की बंध हो गई ।

हॉस्पिटल थी । यहां तो आए दिन ऐसी घटनाएं होती ही रहती है । आसपास कोई नहीं था । तो, ऐसे अकेले हॉस्पिटल में कही भी घूमना ठीक नहीं।  वो उस खिड़की की और देखता हुआ कुछ सोच ही रहा था कि तभी, एक अंधेरी गली की और से पायल की छन छन की आवाज सुनाई देती है । पायल की छन छन सुनते ही आरव की धड़कने तेज हो गई । उसे एक डर का एहसास हुआ।  आरव, बिजली के बल्ब की और जाता हुआ… ऊपर के रूम की पारी, की जहां से पूरा शहर दिखता था।  उस और जा कर खड़ा हो गया।  की तभी, पायल की झंकार के साथ, गले में वो खिलौने वाला , दस रूपये वाला फोन टंगे हुए, पानी की बोतल हाथ में लिए एक नन्हीं सी मासूम सी लड़की आई।  और आ के बोली – अंकल… पानी का नल किधर पड़ता है ? सामने ही कोने में पानी का नल था । आरव ने उंगली से इशारा करते हुए नल को दिखाया। 

फिर से वो अपने नन्हे नन्हे नाजुक से कदमों में पायल छनकाती हुई, पानी की बोतल भरती हुई उस अंधेरी गली की और चली गई।  आरव को उस नन्हीं सी जान को देख कर कुछ अलग ही एहसास हुआ अंदर से । वो, उसकी और ही देखे जा रहा था कि, वो किस कमरे में जाती है ।

तभी अचानक से, पीछे से किसी ने आरव के कंधे पर हाथ रख दिया । आरव तो मारे डर के, बौखलाते हुए, एकदम से डर गया । अचानक से हुए ऐसे स्पर्श से जान हथेली में आ गई । उसकी तो सास ही जैसे अटक गई । उसने पीछे देखा तो, एक बुर्जुग खड़ा था । खांसते हुए बुजुर्ग बोला – बेटे… माचिस होगी तुम्हारे पास ? बीडी तो है मेरे पास लेकिन माचिस नहीं है । तुम्हारे पास माचिस हो तो दो ना ।

आरव – हड़बड़ाते हुए । क्या अंकल आप भी । आपने तो मुझे डरा ही दिया । एक तो वो लड़की, और ऊपर से आप आ गए । ए लो माचिस । और जला लो बीडी।  अंकल, कौन सी लड़की…? कहा थी ? मुझे तो नहीं दिखाई दी कही । आरव, अरे अंकल… अभी उस अंधेरे वाली गली से ही तो पास होते हुए आई वो।  अंकल, मै भी तो उस और से ही आया।  मुझे तो कोई नहीं मिला सामने । और, उस गली की और तो कोई कमरा भी नहीं है। खाली पड़ी है। एक रूम है, उसमें भी ताला लगा रहता है । अंकल, ऐसे इधर उधर मत भटका करो इतनी रात को । हॉस्पिटल है ए ।

आरव, अब काफी डर गया था ।
की तभी नर्स के आने की आवाज सुनाई देती है।
आदर्श, जैसे ही उस नर्स को आवाज लगाता है, और पीछे देखता है तो,… वो अंकल भी कही नहीं दिख रहे थे । हॉस्पिटल में हो रही एसी अजीबोगरीब घटनाओं को लेकर आरव काफी डर गया था।  इधर उधर भटकने से अच्छा उसे कमरे ही, कमरा अंदर से बंध कर के बैठे रहना सही लगा।  कमरे को अंदर से लॉक कर लिया उसने । और पास वाले ही एक खाली बेड पर लंबा हुआ वो ।

अपनी छे साल की बेटी निमी को, तेज बुखार के चलते हॉस्पिटल ले आया था वो । बीवी को हॉस्पिटल की हवा रास नि आती थीं । सो, कही वो भी बीमार ना हो जाए, उस डर से उसे घर ही छोड़ आया था।  डॉक्टर ने दवाई दे दी थी। बेटी आराम से सो रही थी । आरव भी, बगल वाले पलंग पर लंबा होता हुआ कुछ सोच रहा था । गहरी सोच में डूबा था।  अपनी बेटी को देखता, और वो पानी लेने आई लड़की को सोचता। की, तभी अचानक से आरव को नीचे के वार्ड से किसी की चीख चीख के रोने की आवाज सुनाई देती है । इतनी भयानक और क्रूर आवाज में कोई औरत रो रही थी कि, पूरा हॉस्पिटल रोने की उस आवाज को लेकर गूंज रहा था। 

रोने की आवाज सुनते ही, निमी अचानक से बौखलाते हुए नींद से उठ जाती है । पापा, क्या हुआ…? कौन रो रहा है ए इतनी तेजी से ? क्यों रो रहा है वो ? क्या हुआ ?? आरव – हॉस्पिटल है बेटा । अजीबो गरीब केस आते रहते है यहां पर, उसके चलते कोई रो रहा होगा।  निमी, जाओ ना… जा के देख तो आओ आप, क्या हुआ है उसे ? क्यों… इतना चीख चीख कर रो रही है ??

आरव, कमरे का दरवाजा खोलते हुए, पारी की और आता हुआ नीचे के वार्ड की और देखता है । की, तभी कुछ लोग एम्बुलेंस में से किसी पेशेंट को बाहर ला रहे थे।  स्ट्रेचर पर एक औरत को सुलाया हुआ था । पूरा का पूरा बदन जल गया था उसका।  इतनी बुरी तरह से जल गई थी वो की, उसकी चमड़ी सीलन की तरह स्पर्श करते ही नीचे सरकी जा रही थी । लगातार खून टपके जा रहा था उसके शरीर से। पूरा बदन और सबकुछ जल जाने की वजह से वो, काफी डरावनी सी लग रही थी । कमजोर दिल वाला तो उसे देख ही ना पाए। आरव, उस औरत को  नीचे की और देख ही रहा होता है कि, तभी उसे अपना हाथ थामे एक आवाज सुनाई देती है – ” पापा, क्या हुआ है इसे ? और ए इतने भयानक आवाज में क्यों बोल रही है ? ” निमी – की आवाज सुनते ही, शीघ्रता से आरव उसकी आंखों पर हाथो से पर्दा कर लेता है, आंखे बंद कर देता है।  और उसे गोदी में उठाते हुए कमरे के अंदर ले चलता है । बेटा, तू उठ कर क्यों आई वहां ? बेड, से नहीं उठते ऐसे ठीक है।  सो, जाओ बेड पर अभी आराम से। कहते हुए आरव कमरे का दवाजा खींच लेता है ।

निमी – पापा, क्या हुआ था उस औरत को  ?
काफी डरावनी लग रही थी वो तो । कितनी काली थी ना वो । और आपने देखा, सब लोगो को कैसे घूर घूर के देख रही थी वो । क्या हुआ था उसे ?
आरव – बेटा, वो गटर की लाइन में गिर गई होगी। इसलिए ऐसी दिख रही थी।  इधर उधर कुछ चोट लगी होगी उसको तो दर्द से कराह रही थी । अभी डॉक्टर दवाई देंगे तो ठीक हो जाएगी ।
निमी – लेकिन पापा, मैने अभी बाहर आई तब , ऐसी ही एक आंटी को सामने वाले कमरे की खिड़की से इस और ताकते हुए देखा।  जब, मैने उस और देखा तो, वो खिड़की बंध कर के अंदर चली गई। 
आरव, निमी की बाते सुन कर, एक दम से डर गया । क्या… किया जाए कुछ समझ में नहीं आ रहा था। 
निमी, छोटी बच्ची है ए । उसे अभी समझ नहीं है, कि क्या हो रहा है यहां पर ए सब । तुरंत ही उसने अपना फोन निकाला और निमी को देते हुए बोला – हॉस्पिटल में तरह तरह के पेशेंट आते ही रहते है।  इन सब के बारे में मत सोच तू। ले ए फोन, और फोन में वीडियो देख तू।  और नींद आ जाए तब फोन रख के सो जाना ठीक है। उल्टा सीधा मत सोचना किसी के भी बारे में ।

आरव, निमी को देखते हुए सोच रहा था। 
अभी यहां और रुकना ठीक नहीं है । निमी की हालत में भी अभी काफी सुधार दिख रहा है।  सुबह होते ही, डिस्चार्ज हो के चले जायेगे। 

सुबह होती ही, डॉक्टर को दिखा के, डॉक्टर की परमिशन ले के आरव उसकी बेटी को लेकर घर आ गया।  बेड पर लिटाया और उसे दवाई खिला कर आराम करने को कह कर खुद भी सोने चला गया । बीवी, को ए बोलते हुए की, ख्याल रखना इसका । कुछ मागे तो देना उसे ।

निमी, सो रही थी तभी पायल की छन छन सुनाई दी नींद में ही आरव को । पायल की छन छन सुनते ही वो नींद से मारे घबराहट के जग भी गया। घर में देखा तो, सब कुछ नॉर्मल था । निमी फोन ले के देख रही थी। 
निमी की मम्मी ने देखा कि, निमी किसी से कुछ बात कर रही है । लेकिन, सामने कोई नहीं था । वो, सोच ही रही थी कि, तभी निमी ने आवाज लगाई – मम्मा… कुछ खाने को लाओ ना । भूख लगी है मुझे। 
मम्मी पपीता काट के ले आई । मम्मी पानी लेकर वापस आयी कि देखती है कि, पपीता सारा खत्म था । ए देख कर मम्मी हैरान हो जाती है । इतनी जल्दी खत्म कर लिया इस लड़की ने पपीता..! कुछ समझ नि आ रहा था उसे ।

निमी को लगा मम्मी बाहर चली गई है ।
और निम्मी ने बोला – ए लो मेरा फोन तुम देखो । जरा मुझे अपने फोन से खेलने दो ना । निमी की मम्मी दरवाजे पर ही खड़ी थी।  उसने ए सब सुना । निमी ए किससे बात कर रही है ? कोई है तो नहीं वहां। फिर ए लड़की किससे बात कर रही है ??

उसने, आरव को जा के, जगा के सब बताया ।
आरव ने जा के, निमी से पूछा । बेटा, यूं अकेले किस से बात कर रही हो तुम ? यहां तो कोई दिख नहीं रहा ।
निमी बोलने ही जा रही होती है कि तभी – वो एक जगह की और देखते हुए… खामोश हो जाती है। 

हॉस्पिटल में, पानी की बोतल भरने आई वही लड़की, निमी के सामने खड़ी, होठों पर खामोश रहने का इशारा करते हुए, निमी को खामोश रहने के लिए कह रही थी । निमी, बताते हुए ही बीच में ही अटक गई । और जोरो से रोते हुए… कुछ नहीं कह कर रोने लगी । निमी को ऐसे रोता हुआ देख कर, बात को टाल के सो जाने को कहा मम्मी ने उसे ।

तभी बाहर से किसी भिक्षुक की आवाज सुनाई देती है ।
” भिक्षाम देही। ” निमी की मम्मी थोड़ा सा आटा भिक्षुक को देने जाती है । जैसे ही वो उसकी झोली में आटा डालती है कि, भिक्षा मांगने आया वो बाबा, घर की और तक तक के देखता रहता है । घर को देखता, और निमी की मम्मी को देखता । बाबा की ऐसी हरकत देख कर निमी की मम्मी ने बोला – क्या हुआ बाबा…? ऐसे क्यों देख रहे हो ? कुछ हुआ क्या ?

बाबा – घर की और देखता हुआ ।
इस घर में आत्मा का छाया है । जितनी हो सके उतनी जल्दी से वो जो चाह रही है, उसके साथ ही विदा कर दो उसे । वरना… बहुत बुरा होगा ।
बाबा की बात सुन के, निमी की मम्मी बौखला जाती है । वो, तुरंत ही आरव को आवाज लगाती है।  और बाहर बुलाती है । और बाबा ने जो भी कहा, वो दोहराती है। 

तभी, आदर्श के दिमाग में वो पायल की छन छन याद आती है।  वो, लड़की भी याद आती है। और दिल में पनप रहा एक अलग सा एहसास भी महसूस क्यों हो रहा था। ए सब विचार उभर आते है । और उसे बाबा की बात सुन कर कुछ ना कुछ तो होने का वहम होता है ।

आदर्श – आत्मा…? और यहां पर ? कैसे आई ?
बाबा – ए तो तुम अपनी बेटी से पूछो… जो खुद उसे अपने साथ ले आई है।  गर, वो ना बताए , तो आ जाना आश्रम पर शाम को । लेकिन, देरी मत करना हा ।
बाबा, ” अलख…! ” बोलता हुआ वहां से चला जाता है ।

आरव और निमी की मम्मी फौरन कमरे में जाते है । और कमरे का दरवाजा अंदर से बंध कर लेते है । और बहला फुसला से निमी को पूछने की कोशिश करते है कि, ” निमी बेटा, आप किससे बात कर रहे थे अभी ? ” क्या यहाँ पर हम तीन लोगों के अलावा भी कोई और है क्या ? ”

वो लड़की, निमी के सामने ही खड़ी हुई, कुछ भी बताने से मना कर रही थी।  निमी के अलावा किसी को दिखाई नहीं दे रही थी । कितना कुछ पूछने के बाद भी, निमी ने कुछ भी ना बताया और खामोशी से किसी खाली जगह की और देखती रही।  आरव समझ गया था कि, जो कोई भी बुरी शक्ति है । निमी को बताने से रोक रही है।  ऐसे तो नहीं बताएगी वो । कुछ तो दिमाग लगाना ही पड़ेगा। 

वो, निमी की मम्मी को हाथ ऊपर करते हुए, बिना डरे… खामोश रहने का इशारा करता है । और बड़े ही प्यार से निमी को समझाते हुए बोलता है –

” देखो,… निमी बेटा । गर हम तीनों के अलावा और भी कोई तुम्हे यहां दिख रहा है तो, बिना घबराए बताओ हमे । वो, क्या है ना कि, गर हमे मालूम होगा तो, हम हमारी अच्छी निमी बिटिया की तरह उसे भी यह रख सकते है ना । आप हमारी एक नन्हीं सी, प्यारी सी, गुड़िया सी बेटी हो, उसकी जगह एक और बेटी।  दो, दो बेटियां होगी तो कितना अच्छा रहेगा है ना । तुम्हारे साथ खेलेगी, कूदेगी तुम्हे वक्त देंगी । और तो और तुम्हारे लिए अभी कपड़े खरीदने है हमे, बहुत सारी खरीदी भी करनी है ना । गर, तुम बता देंगे कि कोई और भी है हमारे साथ यहां । तो, हम उसके लिए भी साथ में ले लेंगे ना । वो भी कितनी खुश होगी।  हम उसे अपनी निमी की तरह ही रखेंगे । “

ए सब सुन कर वो नन्हीं सी आत्मा खुश हो जाती है । और निमी को बता देने की इजाजत दे देती है ।

निमी – पापा…. जब हम हॉस्पिटल में थे ना । जब मैने आपको कहा कि, आप जा के देख के आओ, ए इतना कौन चीख चीख के रो रहा है । तब जैसे ही आप कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकले।  मेरी जितनी ही एक छोटी सी लड़की कमरे आई । आ के मेरे पास बैठी। खेली मेरे साथ।  और उसने मुझे ए कहा कि, मुझे यहां से बाहर निकलना है । क्या तुम मुझे अपने साथ अपने घर ले जाओगी।  वो, मेरी पक्की वाली दोस्त बन गई थी । खेलने में भी मजा आ रहा था मुझे उसके साथ । तो, मैने उसे हा बोल दिया । कहा कि, आ जाना मेरे साथ । तुम्हे कौन मना कर रहा है । तो, उसने बोला – ऐसे नहीं आ पाऊंगी मै तुम्हारे साथ । चलते वक्त तुम्हे मुझे आवाज लगानी होगी कि – चलो मेरे साथ ।
मैं, दौड़ी चली आऊंगी तुम्हारे साथ ।

भिक्षुक धीरे से मुस्कराया और बोला:
“बेटी… इस घर में अब एक नहीं, दो आत्माएं हैं। दोनों एक-दूसरे को ढूँढ रही हैं… एक तुम्हारी बच्ची के साथ खेल रही है, और दूसरी उसे यहाँ से ले जाना चाहती है। सावधान रहो। सावधान…”

इतना कहकर वो बाबा मुड़ा और धीरे-धीरे गली में गायब हो गया।
निमी की मम्मी सन्न रह गई। उसने तुरंत दरवाज़ा बंद किया और दौड़ती हुई आरव के पास गई।

“आरव! कुछ गड़बड़ है। मैंने जो सुना, जो देखा… वो बाबा कोई साधारण भिक्षुक नहीं था। उसने कहा इस घर में आत्माएं हैं!”

आरव अब और भी बेचैन हो गया।
उसे याद आया, हॉस्पिटल में जिस लड़की को उसने देखा था, और जो निमी से बात कर रही थी… शायद वही आत्मा अब घर तक आ पहुँची है।

वह तुरंत निमी के कमरे की ओर भागा।

कमरे में जाकर देखा, तो निमी बेड पर बैठी थी, लेकिन अकेली नहीं थी। उसके सामने वही छोटी सी लड़की बैठी थी, जो हॉस्पिटल में पानी की बोतल लिए आई थी।
उसके हाथ में वही खिलौने वाला फोन था।
इस बार, लड़की के चेहरे पर मुस्कान नहीं थी। उसकी आँखें गहरी और काली थीं।
निमी शांत थी, एकदम बिना बोले, जैसे किसी नशे में हो।

आरव ने चिल्लाते हुए कहा:
“तुम कौन हो? हमारी बेटी को छोड़ दो!”

लड़की धीरे से बोली –
“मैं निमी को दोस्त बनाना चाहती हूँ। अब मैं अकेली नहीं रहना चाहती। मुझे उसके साथ रहना है… हमेशा के लिए…”

इतना कहकर वह लड़की हवा में ऊपर उठने लगी, उसकी आंखों से आंसू की जगह काला धुआं बहने लगा।
आरव ने तुरंत निमी को गोद में उठाया और जोर से “ओम् नमः शिवाय” जपने लगा।
निमी की मम्मी ने गीता की किताब निकाली और श्लोक पढ़ने लगी।
धुएँ के साथ लड़की की चीख गूंजने लगी—

“वो मेरा वादा तोड़ रही है! वो तो बोले थी कि हमेशा दोस्त रहेगी!”

तभी निमी ने अचानक आँखें खोलीं और चीखते हुए कहा:
“मैंने कोई वादा नहीं किया था! मुझे छोड़ दो!!”

एक पल के लिए कमरे की सारी बत्तियाँ बुझ गईं। एक ठंडी हवा का झोंका पूरे कमरे में घूम गया।
फिर अचानक, सब शांत हो गया।

लड़की… गायब हो चुकी थी।


अगली सुबह, आरव निमी और उसकी मम्मी को लेकर एक पंडित के पास गया। उन्होंने बताया:

“वो आत्मा उसी हॉस्पिटल में मरी एक अनाथ लड़की की थी, जो जल कर मरी थी। उसे किसी की दोस्ती चाहिए थी, और उसने निमी को चुना। लेकिन आपकी बेटी की मासूमियत और आपके परिवार की एकता ने उसे भगा दिया।”

पंडित ने घर में हवन किया और पूरे घर की शुद्धि करवाई।
आरव ने तय किया कि अब वो उस हॉस्पिटल में कभी नहीं जाएगा।

लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती…

एक दिन निमी ने कहा:
“पापा… वो फिर से आई थी। बोली – मैं दोस्ती नहीं चाहती अब… बदला चाहती हूँ…”

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