
मुंबई के उपनगर में एक पुरानी इमारत है – ‘शिव सदन’। एक संकरी, अंधेरी गली में छिपी हुई यह बिल्डिंग अब गिरने की कगार पर है, लेकिन किराया कम होने की वजह से वहाँ मजदूर और स्टूडेंट्स रहते हैं। उसी बिल्डिंग में था कमरा नंबर 9 — जो कई सालों से बंद पड़ा था।
2023 में रोहित नामक एक नया युवक दिल्ली से मुंबई आया था। उसे सस्ते में रहने की जगह चाहिए थी। एजेंट ने उसे वही कमरा दिखाया – कमरा नंबर 9। “थोड़ा पुराना है, लेकिन सस्ता है,” एजेंट ने कहा।
रोहित ने कमरे को साफ़ किया, रंग करवाया, और वहीं रहने लगा। पहली रात सब ठीक रहा, लेकिन दूसरी रात को उसे सपने में एक औरत दिखाई दी — सफेद साड़ी में, उलझे बालों के साथ। वह कुछ कह रही थी, मगर उसकी आवाज़ गूंज रही थी, समझ में नहीं आ रही थी।
रोहित ने सपना समझ कर अनदेखा किया, लेकिन अगले दिन उसे खिड़की पर काली राख के निशान मिले। उसने साफ़ कर दिए।
तीसरी रात जब वह लैपटॉप पर काम कर रहा था, तो लाइट चली गई। उसने मोबाइल का टॉर्च जलाया — तभी पीछे से किसी ने फुसफुसाकर कहा, “निकाल दे मुझे…”
रोहित ने झपटकर दरवाज़ा खोला और बाहर भागा। वह पूरी रात बिल्डिंग के नीचे बैठा रहा। सुबह कुछ बुज़ुर्ग किरायेदारों से उसने पूछा — “इस कमरे में पहले कौन रहता था?”
तब एक बूढ़ी महिला बोली:
“तीन साल पहले एक लड़की यहाँ रही थी — नेहा। उसने आत्महत्या कर ली थी। लेकिन मरने से पहले उसने कॉल किया था पुलिस को — और बोली थी कि कमरे में कुछ है जो उसे चैन से जीने नहीं देता।”
पुलिस आई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। तभी से कमरा बंद था… जब तक रोहित नहीं आया।
रोहित ने तुरंत वह कमरा छोड़ दिया, लेकिन जाते वक्त उसकी नजर कमरे की दीवार पर पड़ी — जहाँ उसने सफेदी करवाई थी। उस पर हल्के उभरे अक्षरों में लिखा था:
“मैं अभी भी यहीं हूँ…”